मानवता के लिए रब का अंतिम संदेश है कुरान मजीद


 **  रमजान वह  मुबारक महीना है जिसमें अल्लाह ने अपनी आखिरी किताब कुरान मजीद का अवतरण अपने आखिरी नबी रसूल पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम पर प्रारंभ किया जो समस्त मानव जाति के लिए मार्गदर्शन है । जैसा कि कुरान में अल्लाह का फरमान है " रमजान वह महीना है जिसमें कुरान उतारा गया जो इंसानों के लिए सर्वथा मार्गदर्शन है और ऐसे स्पष्ट शिक्षाओ पर आधारित है जो सीधा मार्ग दिखाने वाली और सत्य और असत्य का अंतर खोल कर रख देने वाली है (कुरान मजीद 2: 185)। और इसी कुरान मजीद के बारे में अल्लाह ने यह भी बता दिया कि कुरान संसार की समस्त चीजों से अधिक महत्वपूर्ण है जैसा कि अल्लाह का कुरान में फरमान है कि  "ऐ नबी (हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे सल्लम) कहो कि - यह अल्लाह का अनुग्रह और उसकी दया है कि यह चीज उसने भेजी इस पर तो लोगों खुशी मनानी चाहिए यह उन सब चीजों से उत्तम है जिन्हें लोग समेट रहे है। (कुरान मजीद 10:58) एक प्रकार से रमजान का मुबारक महीना कुरान के अवतरण का वार्षिक उत्सव भी है जिससे प्रतिवर्ष कुरान से हमारे व्यवहारिक संबंध का नवजागरण होता रहता है और ईश्वरीय मार्गदर्शन से हमारा संबंध टूटने नहीं पाता है।| रमजान का मुबारक महीना इस भावनाओं को भी नया जीवन देता है कि कुरान मात्र मुसलमानों की धार्मिक पुस्तक नहीं है बल्कि यह तो समस्त मानव जाति के लिए है और यह पूरे संसार को प्रकाशमान करने आई है।और यह मुसलमानों का कर्तव्य है कि वह इस ईश्वरीय संदेश को संसार के कोने कोने तक लोगों की उनकी भाषा में पहुंचाएं जो उनकी धरोहर है  अन्यथा ईश्वर के सामने कयामत के दिन कठोर दंड भुगतना पड़ेगा । इसलिए कुरान के अरबी के पाठ के साथ ही उसे अपनी भाषा में अनुवाद व व्याख्या के साथ पढ़े ताकि उसे समझ सके जैसा कि कुरान में अल्लाह का फरमान है कि " हमने नसीहत के लिए इस कुरान को आसान कर दिया है कोई जो नसीहत कुबूल करें (54:17 ) |  और उस पर अमल करें और उसके संदेश को सारे इंसानों तक पहुंचाएं तभी कुरान का सही  हक अदा कर सकेंगे। इसी रमजान के मुबारक महीने में शबे कद्र की रात में अल्लाह ने अपनी आखिरी किताब कुरान मजीद का अवतरण अपने फरिश्ते जिब्रील अलैहिस्सलाम के प्रकाशना(REVELATION के) जरिए अपने आखिरी नबी रसूल पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम पर प्रारंभ किया जिसका शीर्षक मानव है और विषय मानव का मार्गदर्शन है।| दरअसल कुरान मजीद तमाम मानव जाति के मार्गदर्शन और उसके जीवन व्यवस्था के लिए अंतिम ईश्वरीय विधान है ।जो सामाजिक अध्यात्मिक आर्थिक राजनैतिक नैतिक व्यवस्था का  संगम है । कुरान मजीद में ऐसा एक भी वाक्य नहीं है जो मानवता के विरुद्ध एवं आधुनिक विज्ञान के विरुद्ध हो | बल्कि जिन बातों की जानकारी विज्ञान आज दे रहा है वह कुरान में 14 साल पहले से मौजूद है | कुरान में कुल 30 अध्याय हैं और 6666 वाक्य है 323760 अक्षर है | कुरान मजीद में अल्लाह का फरमान है कि " इस जिक्र कुरान को हमने उतारा है और हम खुद इसके रक्षक है( कुरान मजीद 15;9) | कुरान मजीद में अल्लाह का फरमान है " जिन्हें संदेह हो कि यह कुरान ईश्वरीय वाणी नहीं है तो संसार के सारे इंसान और जिन्नात मिलकर इस जैसी कोई एक पंक्ति बनाकर दिखाएं | कुरान मजीद (17 ;88)  (2 :23 :24)  

आज तक पूरी दुनिया में यह चैलेंज कोई पूरा न कर सका । संपूर्ण  कुरान मजीद के अवतरण मे लगभग 23 साल का समय लगा । कुरान की वाणी को बाद में पुस्तक का रूप दिया गया | और पैगंबर इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के समय से संपूर्ण कुरान मजीद को बिना देखे कंठस्थ करने का सिलसिला चला आ रहा है। आज भी संसार में बिना देखे कुरान को याद करने वाले हाफिज  लाखों-करोड़ों में है और रमजान के मुबारक महीने में तराबीह की नमाज में  पूरी दुनिया में पूरा कुरान बिना देखे पढ़कर सुनाया जाता है । इस्लाम के तीसरे खलीफा हजरत हजरत उस्मान रजि. के समय लिपिबद्ध गई की गई कुरान की दो प्रतियां आज भी अपनी सही हालत में सुरक्षित है । एक रूस के ताशकंद में और दूसरी टर्की के इस्तांबुल में मौजूद है और उसी तरह अपनी ओरिजिनल हालत में पूरी दुनिया में कुरान फैला हुआ है| नूर ए हक शम्मा इलाही को बुझा सकता है  कौन | जिसका हामी हो खुदा उसको मिटा सकता है कौन |   *-साजिद खान "साजिद" धनपुरी (शहडोल)*

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