इस्लाम एक संपूर्ण जीवन व्यवस्था है जिसकी इमारत 5 स्तंभों पर खड़ी होती है (1) इस बात की गवाही देना कि अल्लाह के सिवा कोई बंदगी (आराधना) के लायक नहीं है और पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम अल्लाह के बंदे (भक्त) और उसके रसूल (संदेशवाहक) है (2) और दिन में 5 बार नमाज का आयोजन करना (3) जो लोग आर्थिक रूप से संपन्न है उन्हें अपनी वार्षिक कमाई के लाभ का ढाई प्रतिशत जकात अदा करना (4) इसी तरह जो लोग आर्थिक रूप से संपन्न है उन्हें जीवन भर में एक बार हज करना (5) साल में 1 माह के रमजान के महीने में रोजे रखना। रमजान माह में अल्लाह ने अपने फरिश्ते जिब्रील अलैहिस्सलाम के अभिभाषण के जरिए समस्त मानव जाति के मार्गदर्शन के लिए अपनी आखिरी किताब कुरान मजीद का अवतरण अपने आखिरी नबी रसूल पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम पर प्रारंभ किया जिसका शीर्षक मानव है और कुरान का रक्षक अल्लाह स्वयं है क्योंकि यह सारे मानवता की धरोहर है। रोजे रखने के चार महत्वपूर्ण कारण हैं (1) अल्लाह ने रमजान के महीने में कुरान मजीद को अवतरित किया इसलिए उसका रोजा रखते हुए आभार व्यक्त करना (2) आत्म संयम पैदा करने की भावना के साथ ही भूखे प्यासे रहते हुए जीवन संघर्ष की शक्ति प्राप्त करना (3) निर्धन लोगों के प्रति हमदर्दी पैदा करने और उनकी तकलीफों का एहसास करते हुए अपने माल व दौलत से उनकी मदद करना ताकि वह भी समाज में सम्मानजनक जीवन व्यतीत करने के योग्य हो सके। (4) रोजे के जरिए अपने शरीर को स्वस्थय का लाभ प्रदान करना जिससे कोलस्ट्रोल कंट्रोल होता है और विशेषकर पेट की और बलगामी बीमारियां खत्म हो जाती है और कब्ज दूर हो जाता है और पेट हल्का हो जाता है। रमजान का महीना कुरान मजीद के अवतरण का वार्षिक उत्सव है यह मुसलमानों को कुरान का संदेश समस्त मानव जाति तक पहुंचाने का अवसर प्रदान करता है जो उनकी जिम्मेदारी है नहीं तो कल उनकी अल्लाह के यहां तख्त पकड़ होगी।
साजिद खान "साजिद" धनपुरी शहडोल मध्य प्रदेश
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