अनदेखी -: अधर में अटका ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य,जनता बेहाल)

 


गाडरवारा का दुर्भाग्य :जिले से ताल्लुक रखने वाले एक केंद्रीय मंत्री,तीन सांसदों के होने के बाद भी नही बन पाया ओवर ब्रिज


गाडरवारा। मध्यप्रदेश में महाकौशल क्षेत्र को विकास के तराजू में सबसे नीचे धकेल दिया है,महाकौशल का एक बहुल्य एरिया जिसे लोग नरसिंहपुर जिले के नाम से जानते है,अब विकास की गति में भी पीछे छूटता जा रहा है।नरसिंहपुर जिले में सबसे पीछे यदि कोई तहसील है तो वो गाडरवारा,भले ही गाडरवारा में सैकड़ों गाँव और अपने आप में सबसे ज्यादा राजस्व प्राप्त होने वाली तहसीलों में इसे शुमार कर दिया हो लेकिन जिले की परिधि और विकास की भौगोलिक स्थिति को अगर देखा जाए तो गाडरवारा इन दिनों पिछड़ गया है।जिसका सबसे बड़ा कारण,लोग राजनीतिक उदासीनता को बताते है। पहले गाडरवारा को एनटीपीसी की सौगात दी गई लेकिन जमीनें अधिग्रहण के बाद बात जब स्थानीय युवाओं को रोजगार देने की आई,तो जिले के युवाओं को एटीपीसी ने झुनझुना पकड़ा दिया तथा पकौड़े वाला सूत्र हाथ मे थमा दिया,कहा सरकार तप घरों घर तो शराब पहुचवाने का कार्य कर ही रही है,अब क्यों ना इस शराब की नीति में युवाओं को भी रोजगार मिल जाये,जहाँ शराब की दुकान लगे वही दुकान के बाहर ठेला लगाकर शराबियों की सेवा में पकौड़े का व्यापार करा दिया जाये। ये स्थिति आज गाडरवारा में बया हो रही है,यहाँ खुलने वाले इंजीनियरिंग कॉलेज को भी किसी अन्य जिले में ले जाया जाता है,यानी युवाओं से इंजीनियरिंग कॉलेज की भी सौगात को छीन लिया जाता है। 


जिम्मेदार हुए बेखबर 

गाडरवारा में दशकों से बन रहे ओवर ब्रिज में ब्रिज बनने से पहले ही अपनी गुणवत्ता की कहानी बयां कर देता है,इसके बाद भी ना तो अधिकारी निर्माण करने वाली कंपनी पर कोई कार्यवाही करते और ना ही इस ओर आज तक ध्यान दिया गया।  एनटीपीसी जाने वाले ओवर लोड वाहनों के कारण तहसील की सड़को पर इन दिनों चरमराई यातायात व्यवस्था के कारण लोगो की जान लेने पर तुले हैं।आये दिन ओवर ब्रिज ना होने से लोग घण्टों जाम में फंसे रहते है।अनेकों जिंदगियां इस जाम में फंसने के कारण के कारण अस्पताल जाते समय,सही समय पर उपचार न मिलने से रास्ते में ही दम तोड़ लेती हैं।लेकिन ये तस्वीर यहाँ के अधिकारियों को दिखाई नही देती क्योंकि उनकी आँखो पर कानून की काली पट्टी बंधी हुई है।दशकों के बाद भी ब्रिज का काम आज भी आधा तक नही हो पाया है इसकी ब्रिज का विभाग यानी ब्रिज कॉरपोरेशन भी इस ओर ध्यान देने की बजाय इसमें दखल देने से बचता नजर आ रहा है । 

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