खतरे में भविष्य : स्कूली बच्चों की गाड़ियों में न कैमरे,न महिला केयर टेकर बिना फर्स्ट एड बॉक्स,डग्गामार वाहनों में बच्चे पहुँच रहे स्कूल

 




जिले व शहर की सड़कों पर सरपट दौड़ रही निजी स्कूलों के वाहनों में महत्वपूर्ण उपकरण स्थापित नहीं किए गए हैं।कहने को तो नियमों की पालना के लिए लंबी फेहरिस्त है।मगर जमीनी स्तर पर यह व्यवस्था नहीं दिख रही है।स्कूली वाहनों में महिला केयर टेकरों की तैनाती नहीं की गई है।इसमें कई उपकरण,कैमरे,पैनिक बटन,जीपीएस भी नहीं लगे हैं।गाड़ियों को लेकर निजी स्कूल प्रबंधन लापरवाही बरत रहे हैं।इससे स्कूली बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है।ड्राइवर सीट के साथ छोटे बच्चों को बिठाने की भी अनुमति नहीं है।मगर फ्रंट सीट में छोटे बच्चे भी बिठाए जा रहे हैं।कुल मिलाकर निजी स्कूल प्रबंधन नियमों की पालना करते नहीं दिख रहे है।दूसरी तरफ अधिकारी भी समय-समय पर निरीक्षण नहीं कर रहे है।ऐसे में वाहन दौड़ाने वाले चालकों के हौसले बुलंद हैं। 


क्या रहती है व्यवस्था 

स्कूली वाहनों में आपात स्थिति के लिए पैनिक बटन,स्कूल वाहन पंजीकरण के दौरान ड्राइवर का पंजीकरण जरूरी है, ड्राइवर के पास पाँच वर्ष पुराना ड्राइविंग लाइसेंस,ड्राइवर और सहायक दोनों के पास ड्राइविंग लाइसेंस,ड्राइवर की आपराधिक इतिहास की जानकारी,सुरक्षा के लिए वाहन में अनुभवी पुरुष और महिला सहायक,बस के कर्मचारियों को निर्धारित ड्रेस कोड,सभी स्कूल बसों में स्पीड गवर्नर के साथ अलार्म,चालक निर्धारित गति सीमा से अधिक रफ्तार नहीं बढ़ाएंगे,वाहन से स्कूल आने-जाने वाले बच्चों की सूची,स्कूल बसों में दो इमरजेंसी गेट की व्यवस्था,कैमरे से बस की सुरक्षा रहनी आवश्यक होगी आदि जानकारी व आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए समान बस संचालकों ओर स्कूल संचालकों को अपनी बसों के बाहर लिखने व रखने का नियम है लेकिन इन सभी की अनदेखी करते हुए ये स्कूलों के वाहन जिले में बेख़ौफ़ दौड़ रहे हैं। 


यदा-कदा की जाती है चालानी कार्यवाही 


स्कूल बसों या यात्री बसों में हादसा होने के बाद भले सख्ती होती है,लेकिन समय बीतने के बाद सभी पुराने ढर्रे पर आ जाते है।यातायात पुलिस यदा-कदा चालानी कार्रवाई करती है,लेकिन वे भी इसके लिए अधिकृत नहीं है।इस पर कार्यवाही की जिम्मेदारी आरटीओं की बनती है,लेकिन वर्तमान में कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।बसो की रफ्तार के लिए तो नियम बना दिए गए है,लेकिन छोटे वाहनों की रफ्तार के लिए कोई नियम कानून नहीं

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