(करकबेल)। प्राथमिक शिक्षा के लिए मध्यप्रदेश सरकार हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती है ताकि सुदूरवर्ती ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के बच्चे भी पढ़-लिख कर बेहतर भविष्य बना सकें।लेकिन, कुछ शिक्षक ही सरकार की इस सोच पर कुठाराघात करने पर उतारू हैं।जिसका ताजा उदाहरण नरसिंहपुर के करकबेल में देखने को मिला जहाँ शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय करकबेल के प्रभारी प्राचार्य एवं स्टाप की मनमानी के चलते बच्चो से स्कूल प्रबंधन द्वारा रेत छनवाई जा रही है व साफ सफाई का कार्य स्कूल के छात्रों से कराया जा रहा है।वहीं स्टाफ व प्राचार्य की करतूतों का आलम ये है कि जिन छात्र/छात्राओ की साईकिलो को छाव में रखने जगह बनाई गई है,वहाँ प्राचार्य व स्टाफ की चमचमाती फ़ॉर व्हीलर गाड़ियां व मोटरसाइकिल खड़ी रहती है,जिसके कारण बच्चों की साइकिलें धूप में खड़े होने से आये दिन खराब व पंचर होती रहती है,कबाड़ में तब्दील हो जाती है।ऐंसे स्कूल प्रबंधन की करतूतों के बारे में जब नवागत डीईओ से बात की गई तो उनका जबाब सुन हम दंग रह गए,उन्होंने कहा कि कोई पीरियट यदि नही लगता है तो बच्चों से काम करवाने में कौन सी दिक्क्क्त है? बच्चों से बाहर मजदूरी थोड़ी करवा रहे है,उनके ही विद्यालय का काम होगा।ये जबाब जब हमने सुना तो हम शिक्षा विभाग कैंसे संचालित हो रहा है,उसके सारे सिस्टम को समझ गए।जब डीईओ ही बच्चो से काम करवाने को सही बताते हो तो फिर जिले के स्कूलों और जिले की शिक्षा व्यवस्था का क्या होगा,ये तो आप समझ ही सकते हैं।
इनका कहना है :-
(1). बड़े बच्चों से काम करा सकते है,छोटे बच्चों से करा रहे हो तो बताओ।बड़े बच्चे उनकी ही क्लास और विद्यालय को अच्छा बनाने करा रहे क्यों नही करा सकते।रेत छनवा कर वो व्यापार तो कर नही रहे,वो तो उसी विद्यालय के हित में कर रहे हैं काम,यदि फ्री पीरियट है और कर रहे है काम तो ये तो जिम्मेदारी निभाने की भावना है।इसमें क्या बुराई है,हमे बताओ 14 साल से छोटे बच्चों से यदि करा रहे हैं,तो वो नही करा सकते यदि छोटे होंगे तो मैं जाँच कराऊंगा ।
एच. पी. कुर्मी जिला शिक्षा अधिकारी नरसिंहपुर
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