जिम्मेदार अधिकारी पर्यावरण नियमो से अनभिज्ञ :होने दे रहे धड़ल्ले से निर्माण (पेज 8 की मुख्य खबर)
गाडरवारा। इंसानों की तरह नदियों का भी घर-आँगन है।उन्हें भी अपने मैदान में खेलना-कूदना अच्छा लगता है।हमने दूसरों के घर-आँगन पर नजरे टिकाने का हुनर सीख लिया है।अब नदियों के घर-आँगन यानी ‘डूब क्षेत्र’ पर हमारी नजर है।कई नदियों के डूब क्षेत्र पर अतिक्रमण का संकट है।ऐसी ही स्थिति रही और छोटी व सहायक नदियों का दम घुटा तो गंगा और यमुना जैसी बड़ी और प्रमुख नदियों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा।नदियों की सेहत को बरकरार रखने वाले डूब क्षेत्र के संरक्षण की अनदेखी बदस्तूर जारी है।गाडरवारा में इसका पालन हो पाने में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।यहाँ नदियों के साथ ही अन्य सरकारी भूमियों को ही निशाने पर लिया गया है।गाडरवारा शहर की प्रमुख नदी शक्कर व सीता रेवा नदी का जो कैचमेंट एरिया था,वह कालोनियों की जद में आ गया है।यही वजह है कि अब बरसात के दिनों नदी में अधिक पानी आने से बाढ़ का खतरा बना रहता है।इतना बड़ा अवैधानिक कब्जा हो गया और नगरपालिका एवं जिले का प्रशासन खामोशी से देखता रहा।वही जिले में तीन नवनियुक्त व ऊर्जावान आईएएस अधिकारियों के होने के बाद भी प्रकति व नदी का दोहन व उसके कैचमेंट एरिया में निर्माण जो कि नियमविरुद्ध है लगातार जारी है।वही इसे देख ये समझा जा सकता है कि नवनियुक्त अफसरों को पर्यावरण नियमो का ज्ञान नही है,जिसका खामियाजा आने वाले समय मे शहर के लोगो को उठाना पड़ सकता है ।
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