जन शिक्षण संस्थान द्वारा ग्राम डेडवारा में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती मनाई गयी।इसकी अध्यक्षता नारायण चढ़ार मुख्य अतिथि महेश भारिया द्वारा की गयी।कार्यक्रम के अध्यक्ष नारायण चढ़ार ने भगवान बिरसा मुंडा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा किये गये कार्यो का उल्लेख किया गया।मुख्य अतिथि महेश भारिया द्वारा बताया गया कि बिरसा मुंडा को उनके आंदोलन एवं अपनी जाति के लिए
बलिदान देने के लिए आदिवासी इलाकों में बिरसा मुंडा को भगवान की तरह पूजा जाता है।कार्यक्रम में निदेशक आशीष कुमार सेन ने बताया गया कि बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 के दशक में छोटे किसान के गरीब परिवार में हुआ था,मुंडा एक जनजाति समूह ने जो छोटा नागपूर पठार झारखंड में है।बिरसा मुंडा ने अँग्रेजो को लगान न देने के कारण एक आंदोलन किया।इसी आंदोलन के कारण उनको 2 साल की कारावास की सजा दी गयी।उन्होनें अपने क्षेत्र के अकाल पीड़ित जनता की सेवा करने की ठान रखी थी।उन्होंने अपने जीवन में आदिवासियों के हित में त्याग और बलिदान को महत्व दिया।जिससे उन्होंने अपने जीवनकाल में ही महापुरुष का दर्जा पाया।संस्थान के कार्यक्रम अधिकारी ने कहा कि 15 नवंबर को भारत सरकार ने बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।इस अवसर पर लाभार्थियों द्वारा लेखन प्रतियोगिता,प्रश्न-उत्तर प्रतियोगिता,भाषण प्रतियोगिता का आयोजन केन्द्रा में किया गया।कार्यक्रम में रोशन पटेल,मुकेश भारिया,पूनम पाली,कंचन खत्री,वंदना पटेल,शारदा चढार,सन्नो पटेल,अनुदेशक एवं लाभार्थी उपस्थित रहे।
Post a Comment