इक तू सच्चा,सच्ची तेरी यारी है
बाकी ये सब झूठी दुनियादारी है
इस माटी की देह में प्राण सरीखे तुम
नाम तुम्हारा सुमिरन करना तारी है
इन नैनों की चितवन है तिलिस्म कोई
जिनके आगे सारी दुनिया हारी है
तुमको अर्पण मेरे जीवन की खुशियाँ
हर श्वाँस तुम्हारी श्वाँसों पर बलिहारी है
धवल चाँदनी का लालित्य एक तरफ
तीन लोक में छटा तुम्हारी न्यारी है
"पूजा" तो है मुक्त जगत के बंधन से
जन्म मरण तो भौतिक ज़िम्मेदारी है ।
...पूजा बंसल ...
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