विदा होके दुनिया से जाना सभी को






विदा होके दुनिया से जाना सभी को

मगर गुमनामी में ना मौत आये

वीरो शहीदो में हो नाम अपना

सरहद पे जब हंस के जान हम लुटाये

चमन हो सुगन्धित खिले फूल कलियां

परिन्दे चमन में उड़े चहचहायें

मेरी याद में तुम ना आंसू बहाना

हंसते रहे जब तिरंगे में लाये

मेरी मां को धीरज दें रोये ना वो

वो बूढ़ी अकेली कहीं रह ना जाये

बेटे ने फिर उनका ऊंचा किया है

बापू से कहना वो सीना बुलायें

घायल नही है मेरी पीठ मैने

 सीने पे सब वार सब घाव खाये

जवानी भला वो है किस काम की 

जो इस देश के ना किसी काम आये

हवन में ना तुम श्लोक संस्कृत के पढ़ना

शहीदो के वन्दन का सब गीत गायें

मेरा चित्र हो और हो भारती का नक्शा

मेरी गलियां मुझसे ही पहचानी जाये

जब भी करो याद ऐसे ही करना

शहीदो को करके नमन फिर झुकायें

निकले जनाजा जिधर से भी मेरा

भारत की जय बस सुनने में आये

विदा हो के दुनिया से जाना सभी को

मगर गुमनामी में ना मौत आये

                  शालिनी शर्मा,

                 गाजियाबाद उप्र  ।


 

 




 

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