रात भर खामोश रही तेरी यादें,
दिल को बहलाती रही तेरी बातें।
हर बार तुम कर लेते हो किनारा मुझसे
करवट बदलकर बितायी ये रातें।
ओस की बूंदों सा है तेरा प्यार
हल्की सी गर्मी से पिघल जाते है
कुछ तन्हा बीत गयी ये ज़िन्दगी
अब तेरी यादों में गुज़रती ये रातें
हल्की सी सरसराहट हुई थी कही
बडी डर डर के गुज़ारी ये राते।
मनु श्वेता मुज़फ्फरनगर
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