सुनो
बहुत मन करता है
जी भर जी कर देख लूं
आवाज़ दे रही है
वो ज़िंदगी रोक लूं
दो दिन बचे हैं
उन्हें मस्ती में उड़ा लूं
सुनो
बहुत मन करता है
जी भर जी कर देख लूं
खुले हुये बालों में
मन को भी खोल दूं
चुप चुप रही थी
अब बिन बात बोल दूं
सुनो
बहुत मन करता है
जी भर जी कर देख लूं
डरती हूं उड़ने में
कटे पर कैसे उड़ान लूं
बँधी रही उम्र भर
अब पाँव कैसे खोल दूं
सुनो
बहुत मन करता है
जी भर जी कर देख लूं
जज़्बे भरपूर हैं
बस हिम्मत को तौल लूं
मंजिल बुला रही है
सब रास्तों से बोल लूं
सुनो
बहुत मन करता है
जी भर जी कर देख लूं
आभा चन्द्रा.
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