ले दिया हाथ में
माँ ने बड़े प्यार से
कहा बिटिया
यूँ ही सदा जगमगाना
बिना किसी डर किसी समझौते के
सिर उठाकर जीना
स्वाभिमान से
देखो हवा से भी
कैसे लड़ता है ये दिया
कभी लौ होती तेज़
कभी लौ होती मंद
फिर भी दिया टिमटिमा
अपनी रोशनी बिखेरता रहता है
कभी हारता नहीं
न तेज़ हवा से
न गहरे अंधेरे से
इसी तरह तुम भी
कभी न खोना
आत्म विश्वास अपना
न झुकना
न रुकना
सदा खिलना महकना
और पाकर रहना
मंज़िल अपनी।
लगे कभी भी
दिल हारा
या हौंसला लगे टूटने
याद करना इस दिये
को और
बन प्रकाश करना उज्ज्वल
दुनिया अपनी
बिना रुके
बिना थमे
ले दिया हाथ में
माँ ने बड़े प्यार से
दे डाली सीख बड़ी
अपनी लाड़ली बिटिया को
जो बन जायेगा मूल मंत्र
जीवन का।।
मीनाक्षी सुकुमारन,
नोएडा /
Post a Comment