खुली हवाओं ने

खुली हवाओं ने

स्त्री को 

जिस्म की आजादी दी।

रूह गुलाम सी खड़ी मिली।

वक्त ने कहा-

ऐ वामा !

जा मुक्त कर,

विचारों को 

प्रभाव की परिधि से,

एक दिन कविता

तुझे स्वयं लिख जायेगी।

 

 

 

 

 

आवारापन

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   (1)

 

आवारा 

नहीं होने दिया 

इस मन को

ये जानकर भी इसको 

आवरगी पसंद है..

 

(2)

 

दोस्तों के साथ आवारगी 

बहुत अच्छी लगती है

मैं उनसे नहीं

स्वयं से 

मिल आती हूँ।

 

(3)

 

आवारा राहें

आवारा चाहें

आवारगी की बाँहों में

आवारेपन की बस

इंतहा हो गई।

 

(4)

 

जी लिये 

चंद पल मे

उम्रभर की जिन्दगी

आवारा सा लम्हा

राहों में

यूँ आ मिला।

,

कंचन अपराजिता ।

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