कवि हूँ मैं....







 

 

माँ के आँचल से बहती, 

अमृत की धार हूँ मैं।

पिता की स्नेहमयी,

दिप्त,फटकार हूँ मैं।।

रवि की शीतलता व,

शशि का ताप हूँ मैं।

ऋषि,मुनि,संतो से

जपने वाला जाप हूँ मैं।।

मैं महर्षि व्यास का

उत्तराधिकारी हूँ।

पवित्र मुस्कान लिए,

शावकों की किलकारी हूँ।।

मैं धरती हूँ,आकाश हूँ,

मनुजता के अँतर की प्यास हूँ।

मैं अवनि पर प्रभु का आभास हूँ,

मैं राम का वनवास हूँ।।

मैं पर्वतों का शिखर हूँ,

सागर की गहराई हूँ।

मैं तप्त,दग्ध हृदय हेतु,

शीतल पुरवाई हूँ।।

मैं होली का रंग हूँ,

ईद की मिठास हूँ।

क्रिसमस का जोश हूँ,

लोहिड़ी का उल्लास हूँ।।

मैं गीत हूँ,गज़ल हूँ,लोरी हूँ,

युवा दिलों का ज्वार हूँ।

मैं ज़रावस्था की पहचान हूँ,

अनुभवों का अंबार हूँ।।

मैं ज्ञान का अनुगामी हूँ,

समन्वय का मेल हूँ।

प्रीति का पोषक हूँ,

शब्दों का खेल हूँ।।

भौंरों का गुँज़ार हूँ,

सुमनों की छवि हूँ मैं।

साहित्याकाश पर चमकता,

कवि हूँ मैं,कवि हूँ मैं।

 

■अमित कुमार दुबे

   पालघर,महाराष्ट्र ।


 

 


 



 



0/Post a Comment/Comments