-हम जहानाबाद में

-हम जहानाबाद में

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गंगा   मुहब्बत   की  बहायें  हम  जहानाबाद  में

नफ़रत सभी मिलकर मिटायें हम जहानाबाद में

 

थकना  नहीं  है  राहों में चलना बहुत है दूर तक

दीया  मुहब्बत  का  जलायें  हम  जहानाबाद में

 

हाथों के पत्थर फेंक कर अब थामें ऐसी डोर को

इंसानियत  को  फिर  जगायें  हम जहानाबाद में

 

वैसी जड़ों को काट दें , देती हवा नफ़रत को जो

भाईचारा   दिल  में   बढ़ायें  हम  जहानाबाद  में

 

शिकवा गिला सब भूलकर सबसे गले ऐसा मिलें

फिर काम इक - दूजे के आयें हम जहानाबाद में

 

तहज़ीब गंगा - जमनी की आबाद रखना है यहाँ

फिर  ईद - होली  मिल मनायें हम जहानाबाद में

 

फिर  से  फँसेंगे  हम नहीं चाहे सियासी चाल हो

मिलकर  मुहिम  ऐसा चलायें हम जहानाबाद में

 

हिन्दोस्तानी  गीत  'ऐनुल' आज गायें मिल सभी

फिर  एकता अपनी दिखायें  हम  जहानाबाद में

 

 'ऐनुल' बरौलवी,

गोपालगंज (बिहार) ।

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