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मेरे सर पे तेरा है हाथ हरदम
ये तेरा है मुझपे करम नाथ हरदम
डूबी हूं ग़म की गहराईयों में
सहारा है यादों का तनहाइयों में
सहारा है यादों का तन्हाइयों में
मेरे सर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हरदम
सिवा तेरे मुझको नहीं है सहारा
निगाहों ने मेरी है तुझको निहारा
निगाहों ने मेरी है तुझको निहारा
मेरे सर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हरदम
मेरा मुकद्दर जुड़ा ऐसे तुझसे
न है कोई नाता साया का ख़ुद से
न है कोई नाता साया का ख़ुद से
मेरे सर पे तेरा है हाथ हरदम
ये तेरा है मुझपे करम नाथ हरदम
,सुषमा कुमारी साया,
गुरुग्राम हरियाणा ।
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