अगर कुछ हो सके तुमसे तो ये एहसान कर देना

अगर कुछ हो सके तुमसे तो ये एहसान कर देना !

मिरी उल्फ़त का अपनी बज़्म में ऐलान कर देना !!

 

जो ज़िन्दा हैं उन्हें बेहरकत ओ बेजान कर देना !

हमें आता नहीं है बस्तियाँ वीरान कर देना !!

 

ये तपती धूप ये सहरा ये मेरे पाँव के छाले ,

कड़ा है ये सफ़र या रब इसे आसान कर देना !

 

अलामत ज़िन्दगी की है अगरचे सांस लेना ही  ,

तो  मौला  दफ़्न  मेरे दिल में सब अरमान कर देना !

 

लबों को मुस्कुराहट आँख को आंँसू  दिए हैं तो ,

मयस्सर ज़ख़्म के फूलों को भी गुलदान कर देना !

 

ये दिल की इज़्तिराबी कैफ़ियत   मिट जायेगी मौला ,

किसी के इश्क़ को दिल का मेरे 

मेहमान कर देना !

 

यही है इल्तिजा मेरी यही दिल में तमन्ना है ,

'वफ़ा' को मेरे मौला साहिब ए ईमान कर देना !

कविता सिंह "वफ़ा" ।

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